Monday, August 14, 2023

पृथ्वी पर 70% पानी कहाँ से आया?

 पृथ्वी पर 70% पानी कहाँ से आया? ये रहस्य हैरान कर देगा

वैज्ञानिकों ने कहा कि उल्कापिंडों पर मौजूद पानी की रासायनिक संरचना पृथ्वी पर मौजूद पानी की तरह नहीं है। उल्कापिंड के पानी में अधिक ड्यूटेरियम, हाइड्रोजन का भारी रूप था। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि...

ट्वी पर पानी कहां से आया, इसे लेकर वैज्ञानिकों ने एक बड़ी खोज की है। हाल के एक अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि सौर हवा द्वारा पृथ्वी पर पानी कैसे लाया गया। इस अध्ययन से अंतरिक्ष में जीवन की खोज को लेकर नई उम्मीदें जगी हैं।

अध्ययन में वैज्ञानिकों ने उल्कापिंडों और क्षुद्रग्रहों के टुकड़ों का अध्ययन किया और पाया कि उल्कापिंडों में पानी भरा हुआ है। पानी से भरे ये उल्कापिंड और क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकराए, जिससे पृथ्वी पर पानी रह गया और बदलते मौसम ने पानी की मात्रा बढ़ाने में मदद की। यह बात इंग्लैंड की ग्लासगो यूनिवर्सिटी के ल्यूक डेली और उनकी टीम ने बताई है। ल्यूक डेली जापानी अंतरिक्ष यान हायाबुसा द्वारा वापस लाए गए क्षुद्रग्रह के टुकड़ों की जांच करते हैं। यह टुकड़ा साल 2010 में धरती से टकराया था.

वैज्ञानिकों ने कहा कि उल्कापिंडों पर मौजूद पानी की रासायनिक संरचना पृथ्वी पर मौजूद पानी की तरह नहीं है। उल्कापिंड के पानी में अधिक ड्यूटेरियम, हाइड्रोजन का भारी रूप था। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि सौरमंडल में इस तत्व से भरे उल्कापिंडों पर अब भी पानी मौजूद होगा, लेकिन इसका रूप अलग हो सकता है. वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि क्षुद्रग्रह के टुकड़े में कुछ कण थे जो सौर हवा द्वारा पानी में बदल गए थे। सौर वायु से हाइड्रोजन आयन निकलते हैं, जो क्षुद्रग्रह चट्टानों में मौजूद ऑक्सीजन परमाणुओं के साथ मिलकर पानी बनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि हमारे सौर मंडल की शुरुआत में बहुत अधिक धूल थी, जो सौर हवा द्वारा पानी में बदल दी गई थी।

वैज्ञानिकों के अनुसार धूल के कणों में ऑक्सीजन होती है। जब सौर हवा हाइड्रोजन के साथ मिलती है तो पानी बनता है। जैसे ही पानी अंतरिक्ष में जमा धूल में भर गया, धूल के कण भारी हो गए। फिर वे एक-दूसरे से टकरा गए या किसी सतह से टकराकर क्षुद्रग्रह बन गए। जब ये पानी से भरे क्षुद्रग्रह या उल्कापिंड पृथ्वी से टकराए तो यहां महासागरों का निर्माण हुआ।

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